ख्वाहिशों की चादर

तेते पाँव पसारिए जेती लंबी सौर

ROOPA SHRIKRISHNA RAI

4/15/20251 min read

ख्वाहिशें जीवन में कभी कम नहीं होतीं,

सीप गर मिले हमें तो हम चाहेंगे मोती।

दिन की धूप किसी को न भाती, सबको चाहिए चाँदनी रात ।

मिल जाए मुस्कान तो हमको, चाहें हम खुशियों की सौगात।

क्यों ना सोचें कड़ी धूप ही चलना हमें सिखाती है,

और वहीं हर ठोकर हमको सँभल के चलना सिखाती है।।

जो दुख के बादल ना छाएँ तो सुख का अनुभव कैसे कर पाएँगे?

जो हम संघर्षों से डरें तो, जीवन- पथ पर आगे कैसे बढ़ पाएँगे?

यदि सफलता के इच्छुक हैं तो पहले कर्मठ बनना होगा।

यदि हम चाहें नींद चैन की, तो स्वेद - रक्त से सनना होगा।।

बिना परिश्रम कहो कौन, महाविभूति कहलाया है?

बिना हार का स्वाद चखे, कौन खिलाड़ी बन पाया है ?

ख्वाहिशों की चादर को अब, छोटा हमें बनाना होगा।

जो मिले, जितना भी मिलता, सहर्ष गले लगाना होगा