आईने सा व्यक्तित्व रखो, सात्विक अपना अस्तित्व रखो।

समाज एक मुखौटे के पीछे छुपा हुआ है। समाज का हर वर्ग आज बेईमानी, झूठ और फरेब के दलदल में फंसा हुआ है लेकिन खुद को समाज का सच्चा रखवाला बताता है ।ऐसे लोगों के नेतृत्व में समाज की क्या स्थिति है यह किसी से छुपा नहीं है। आज भाई दूसरे भाई की खुशियों में दुख का अनुभव करता है तथा मन ही मन उसे नीचा दिखाने का अवसर ढूंढता रहता है। घर के बड़ों की यह कलुषित भावना जाने अनजाने मासूम बच्चों के कोमल हृदय पर भी अपना नकारात्मक प्रभाव डालता जा रहा है। हर बच्चा स्पर्धा की इस अंधी दौड़ में शामिल है और खुद को अव्वल साबित करने के लिए साम ,दाम , दंड, भेद सभी का प्रयोग करने में भी कोई गुरेज नहीं करता। परन्तु क्या इससे उनके व्यक्तित्व का विकास होगा!! कतई नहीं। हमारा व्यक्तित्व तो आइने के समान होना चाहिए जिसमें हमारी सच्चाई और अच्छाई हर किसी को बिना व्यवधान के दिख सके । परन्तु आजकल तो हर व्यक्तित्व दिखावे का नकाब पहने हुए है। इस नकाब को कैसे हटाया जाय और भारतवासियों के व्यक्तित्व और अस्तित्व का संरक्षण कैसे किया जाय? यह प्रश्न विचारणीय है । अब आप यह सोच रहे होंगे कि हम क्यों विचार करें ? आखिर हमारे सोचने से या हमारी राय से क्या ही बदल जाएगा ? है ना ! कहा गया है कि शुरुवात हमेशा घर से होती है । तो आइए समाज को बेहतर देखने के लिए पहले अपने परिवार को बेहतर बनाएं । कहा भी गया है कि बूंद - बूंद से सागर बनता है । अब हर परिवार में अच्छे संस्कार की लौ जलाएं और सम्पूर्ण राष्ट्र को रोशन बनाएं । हम सब मिलकर आधुनिक भारत के अस्तित्व और व्यक्तित्व को संरक्षित रखने का प्रयास करें।

👉आज का सुविचार

"हमारा व्यक्तित्व नमक सरीखे होना चाहिए। हमारी उपस्थिति का एहसास भले किसी को ना हो परन्तु हमारी अनुपस्थिति हर एक को खटकनी चाहिए ।"

धन्यवाद

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ह मुखिया है या माली !! कौन कर रहा है रखवाली ??

' माली ' यह शब्द सुनकर हम सभी के ज़हन में एक दुर्बल लाचार व्यक्ति का चित्र उभरकर आता है जो मेहनत तो अथक करता है परन्तु उस परिश्रम का पूर्ण पारितोषिक कभी उस अकेले को प्राप्त नहीं होता। सुबह से शाम तक उसका काम सिर्फ पौधों की देखभाल ही तो करना होता है ! आखिर इसमें वह कौन-सा जिम्मेदारी भरा कार्य कर रहा होगा?" आप सभी यही सब सोच रहे होंगे । है ना? उसकी जिम्मेदारी और कर्मठता के बारे में हम बाद में चर्चा करेंगे ।सबसे पहले मैं बता दूं कि माली भी दो तरह की मानसिकता वाले होते हैं। एक वो जो अपने काम को सिर्फ काम समझते है और अपनी आठ- दस घंटे की ड्यूटी को पूरा करके निश्चिंत हो सो जाते हैं। दूसरे वो जो अपने काम को काम नहीं बल्कि पूजा समझते है,अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी समझता है और मौसम के हर थपेड़ों से उसकी सुरक्षा करता है। तेज आँधी - तूफान में टूटे - बिखरे पौधों को सहारा देता है। आवश्यकता पड़ने पर उसे किसी आधार के साथ बाँध भी देता है जिससे वो गलत दिशा में ना झुके, इस बंधन के कारण भविष्य में वो सुदृढ़ रह सकेंगे। कुछ पौधे आवश्यकता से अधिक तीव्र गति पकड़ लेते हैं उनकी कटाई - छटाई का काम भी वो बखूबी जानता है। जहाँ एक ओर उसमें निश्छल प्रेम है वहीं दूसरी तरफ वही माली कट्टर अनुशासन प्रेमी भी है। इस दोहरी भूमिका के चलते वो अपने उपवन को सर्वोत्कृष्ठ बनाता है।

आप सोच रहे होंगे कि आज अचानक माली की भूमिका का वर्णन भला मैं क्यों कर रही हूँ? सोचना भी चाहिए। तो आइए हम मिलकर सोचते हैं कि परिवार रूपी बगिया का माली कौन है? कौन है जो प्रेम और अनुशासन दोनों का प्रयोग करके अपने बाग के हर पौधे के भविष्य को संरक्षण प्रदान कर रहा है । कौन है जो बिना किसी स्वार्थ के अपने प्रेम रूपी जल से सम्पूर्ण परिवार वृक्ष को सींचता है और कोई श्रेय नहीं लेता ? कहीं वो माली वो मुखिया अपने खुद के परिवार में नीरसता का अनुभव तो नहीं कर रहा। तो आइए.....आज उस मुखिया , उस माली का अभिनंदन करें जिसने परिवार-बेल को कभी भी, किसी भी परिस्थिति में मुरझाने नहीं दिया।

एक रचना उस माली के नाम -

पापा स्नेह के दरिया हैं, इच्छापूर्ति का जरिया हैं।
उनके प्रेम को बयां कर सके ऐसा कौन महान है?
पिता कभी भी श्रेय न लेता जाने सकल जहान है।
पिता के उपकारों का मोल कैसे कोई चुका सकता।
बच्चों की सुख निद्रा खातिर पिता सैकड़ों रातें जगता ।।
हे ईश्वर ! ऐसा बल दो मुझको कि पापा को भी नाज़ हो।
जो सुख उनको मिल न सका , उन सब पर उनका राज हो।
धन्यवाद।

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A person holds an open book with text written in a language resembling Hindi or Sanskrit. The book is held in a well-lit environment with a neutral wall in the background and a glimpse of a plant with small, pink flowers.
A person holds an open book with text written in a language resembling Hindi or Sanskrit. The book is held in a well-lit environment with a neutral wall in the background and a glimpse of a plant with small, pink flowers.
An open book with text in a script that resembles Hindi or Sanskrit, placed on top of a vibrant red cloth. The book is partially open, displaying printed content, and is set against a light blue background.
An open book with text in a script that resembles Hindi or Sanskrit, placed on top of a vibrant red cloth. The book is partially open, displaying printed content, and is set against a light blue background.
An open notebook with handwritten Hindi text is placed on a bright pink surface, surrounded by a white and silver wireless mouse and a teal cup containing a beverage. The background features a subtle floral pattern.
An open notebook with handwritten Hindi text is placed on a bright pink surface, surrounded by a white and silver wireless mouse and a teal cup containing a beverage. The background features a subtle floral pattern.

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A hand holding glasses above an open book with text written in an Indian language, possibly Hindi. The book is placed on a colorful patterned fabric that covers a surface.
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