

' माली ' यह शब्द सुनकर हम सभी के ज़हन में एक दुर्बल लाचार व्यक्ति का चित्र उभरकर आता है जो मेहनत तो अथक करता है परन्तु उस परिश्रम का पूर्ण पारितोषिक कभी उस अकेले को प्राप्त नहीं होता। सुबह से शाम तक उसका काम सिर्फ पौधों की देखभाल ही तो करना होता है ! आखिर इसमें वह कौन-सा जिम्मेदारी भरा कार्य कर रहा होगा?" आप सभी यही सब सोच रहे होंगे । है ना? उसकी जिम्मेदारी और कर्मठता के बारे में हम बाद में चर्चा करेंगे ।सबसे पहले मैं बता दूं कि माली भी दो तरह की मानसिकता वाले होते हैं। एक वो जो अपने काम को सिर्फ काम समझते है और अपनी आठ- दस घंटे की ड्यूटी को पूरा करके निश्चिंत हो सो जाते हैं। दूसरे वो जो अपने काम को काम नहीं बल्कि पूजा समझते है,अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी समझता है और मौसम के हर थपेड़ों से उसकी सुरक्षा करता है। तेज आँधी - तूफान में टूटे - बिखरे पौधों को सहारा देता है। आवश्यकता पड़ने पर उसे किसी आधार के साथ बाँध भी देता है जिससे वो गलत दिशा में ना झुके, इस बंधन के कारण भविष्य में वो सुदृढ़ रह सकेंगे। कुछ पौधे आवश्यकता से अधिक तीव्र गति पकड़ लेते हैं उनकी कटाई - छटाई का काम भी वो बखूबी जानता है। जहाँ एक ओर उसमें निश्छल प्रेम है वहीं दूसरी तरफ वही माली कट्टर अनुशासन प्रेमी भी है। इस दोहरी भूमिका के चलते वो अपने उपवन को सर्वोत्कृष्ठ बनाता है।
आप सोच रहे होंगे कि आज अचानक माली की भूमिका का वर्णन भला मैं क्यों कर रही हूँ? सोचना भी चाहिए। तो आइए हम मिलकर सोचते हैं कि परिवार रूपी बगिया का माली कौन है? कौन है जो प्रेम और अनुशासन दोनों का प्रयोग करके अपने बाग के हर पौधे के भविष्य को संरक्षण प्रदान कर रहा है । कौन है जो बिना किसी स्वार्थ के अपने प्रेम रूपी जल से सम्पूर्ण परिवार वृक्ष को सींचता है और कोई श्रेय नहीं लेता ? कहीं वो माली वो मुखिया अपने खुद के परिवार में नीरसता का अनुभव तो नहीं कर रहा। तो आइए.....आज उस मुखिया , उस माली का अभिनंदन करें जिसने परिवार-बेल को कभी भी, किसी भी परिस्थिति में मुरझाने नहीं दिया।
एक रचना उस माली के नाम -